बृजेश पाठक जैसी शक्सियत बनना भी आसान कहाँ ??

हिंदुस्तान की सियासत की कर्मभूमि , उत्तर प्रदेश के हर गली कूंचे में सैकड़ों की तादाद में समाजसेवी, नेतागण दिखाई देंगे, राजनीति के। मंच में अपनी ज़ोर आज़माइश करते 403 विधानसभा क्षेत्र से अपनी हर संभव कोशिश करके उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचने को कोशिश में लगे रहते है, जो पहुँच जाते है वो मंत्री पद की दौड़ में दिखाई देते है लेकिन इन सबसे अलग अपनी ही धुन में मस्त हरफन मौला शख्स है जो जनमानस के लिए समर्पण की धुन का पक्का है।

आसमान से आग बरस रही हो लेकिन भंडारों में शामिल होना ज़रूरी है, प्रभु के श्रीचरणों में अपना शीर्ष रखकर गरीबो को अन्नदान करना ज़रूरी है, दिनभर की भागदौड़ के बाद जहां नेतागण आराम से अपने वातानकूलित कक्ष में सोते है वहीं बृजेश पाठक हस्पतालों की व्यवस्था को देखने निकल पड़ते हैंऔर तीमारदारों से दुआएं बटोर कर अपनी अगली दिनचर्या के लिए कमर कस लेते है। लोगों में जिज्ञासा बन रही है आखिर ये आराम कब करते है और 24 घंटे समर्पण की ये भावना कहाँ से लाते है जिनकी खोजबीन जारी है।-डॉ मोहम्मद कामरान

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