पत्रकार हेमंत की जान बच गयी, अब कल किसकी बारी है !
पत्रकारिता के गिरते स्वरूप और उसके अस्तित्व को बचाना होगा पत्रकारों को
लखनऊ। राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार हेमंत को रात के अंधेरे में 50-60 लोगों का गिरोह गरियाने, धमकाने और कुछ बड़ा करने के इरादे से समाचार पत्र के कार्यालय में घुसता है, तो उनका इरादा समझना जरूरी है। ये संदेश सभी खांटी पत्रकारो को समझना होगा। जिनको मान्यता तो मानकों को पूरा करने के उपरांत मिलती है। लेकिन गुटबाज़ी, आपसी आरोप प्रत्यारोप पत्रकारिता को धरातल और रसातल पर ले जा रहा है । जिसके कारण संगठनो में बिखराव और अलग अलग खेमो में बाटता नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रात के अंधेरे में सिर्फ हेमंत पर हमला नही हुआ है, बल्कि गिरोहबंद तथाकथित पत्रकारों ने सड़क पर अपनी इस मुहीम की शुरुआत कर दी है और उनकी इस मारामारी की शुरुआत ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े सम्मानित पत्रकारों के अस्तित्व पर सोचने के लिए मजबूर किया है। यदि देखा जाए तो, स्ट्रिंगर, फोटोजर्नलिस्ट को भी शक के दायरे में ला दिया है।
ऐसे सक्रिय गिरोहबंद तथाकथित पत्रकारो की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ही लखनऊ के पुलिस आयुक्त डी. के. ठाकुर, द्वारा पत्रकारिता की साख, प्रतिष्ठा और रसूख को बचाने की जो शुरुआत की गई है वो सराहनीय, प्रशंसनीय है , लेकिन तथाकथितों के खुलासे की इस कड़ी में पहला कदम रखने का साहस दिखाने वाले हेमंत पर जिस सुनियोजित तरीके से हमला करने के उपरांत झूठे हरिजन एक्ट के मुक़दमे में फसाने की साजिश की जा रही है ये लखनऊ की साफ सुथरी, अदब की पत्रकारिता पर एक बड़ा हमला है।
पत्रकारिता क्षेत्र में हेमंत को कौन नही जानता, कई दशकों से राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों की श्रेणी में हेमंत का अपना बड़ा मुकाम है, सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं अन्य प्रदेशों के खांटी पत्रकारों ने इस तरह के सुनियोजित हमले की निंदा की है । लेकिन उत्तर प्रदेश के संगठनो का बिखराव, वर्चस्व की लड़ाई और पत्रकारों की ट्रेड यूनियन, संगठनो का मुख्यधारा से जुड़े पत्रकारों की आवाज़ न बन पाना विचारणीय प्रश्न है।
जन्मदिन, भंडारे और श्रमिक दिवस पर दिखने वाले संगठनो को पत्रकारिता की साख बचाने के लिए निकलना ही होगा क्योंकि हालात यही रहे तो आज हेमंत जैसे वरिष्ठ राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार के साथ ये घटना हुई हैं कल किसी अन्य पत्रकार के साथ होगी।
ऑल इंडिया न्यूज़पेपर एसोसिएशन, आईना द्वारा सभी संगठन, वरिष्ठ पत्रकार गण, सम्मानित youtuber पत्रकार, छायाकार और युवा पत्रकार साथियों की एकजुटता, अखंडता, आत्मसम्मान तथा पत्रकारिता के अस्तित्व को बचाए रखने हेतु चिंतन, मनन, मंथन कार्यशाला का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें सभी संगठनो का स्वागत है। क्योंकि बिखराव की राजनीति और पत्रकारिता का गिरता स्वरूप भविष्य में किसी पत्रकार को अपनी दरिंदगी का शिकार न बना दे, इस पर विचार किया जाना अति आवश्यक है।
एकजुटता ही हमारा उद्देश्य है।