करिश्माई व्यक्तित्व के धनी मनोज मिश्रा को धरा अवतरण दिवस की बधाई एवं अनंत मंगलकामनाएं

आईना द्वारा अनोखे अंदाज़ में दी बधाई !

जो भी मिला प्यार से, मनोज उसी के हो लिए !

 

मनोज मिश्रा, एक नाम नही बल्कि मीडिया जगत से जुड़े हर इंसान के।लिए हर वक़्त और हर दम उपलब्ध हेल्प लाइन सेवा, ऎसी सेवा जिसका न तो कोई मूल्य है और न ही कोई स्वार्थ, फिर भी उनके तजुर्बे देखकर अपने कानपुर की याद आ जाती है। मनोज मिश्रा और कानपुर का कोई संबंध तो नही है लेकिन कानपुर में एक लडडू की दुकान बड़ी मशहूर है , लड्डू खिलाकर पूरी दुनिया का मूंह मीठा करता है लेकिन उसके स्लोगन में थोड़ा सा बदलाव कर दिया जाए तो मनोज मिश्रा पर एकदम उपयुक्त बैठता है,, ऐसा कोई सगा नही जिसने इनको ठगा नही, जिसकी भी जितनी भी मदद की उसने इनकी पीठ पर उतने ही वार किए लेकिन हर वार से इनके इरादे और भी मजबूत हुए, मदद करने का दायरा और भी बढ़ गया।

कोरोना कॉल में जब लोग घर मे बैठे थे, मीडिया जगत पर अर्थव्यवस्था का बड़ा खतरा मंडरा रहा था, कलमकारों को दवा दारू का टोटा लगा था ऐसे में कोरोना वायरस के संक्रमण से मनोज भाई को न कोई डर दिखता था और न ही कोई दहशत थी, बस अपने साथियों की।मदद करने का जुनून था, घर का राशन हो या चेहरे का मास्क, ऑक्सीजन सिलिंडर हो या एम्बुलेंस हर मर्ज की दवा भाई मनोज मिश्रा थे।

आज के दौर में जहां पत्रकारिता सिर्फ एक व्यक्ति से की गई उम्मीद से नहीं सिस्टम और संसाधन से चलती है वहीं सीमित संसाधनों के चलते संस्थानों के पास अखबार प्रकाशित करने के तन्त्र नही बचे है लेकिन मनोज मिश्रा के संस्थान में भले ही न्यूज़ कवरेज का बजट कम हो गया है लेकिन खबर करने वाले तमाम पत्रकारों की उम्मीदों को अल्फ़ाज़ और अपनी खबरों के लिए पूरी जगह मिलती है, पीत पत्रकारिता, ब्लैकमेलिंग, विज्ञापनों के लिए चाटुकारिता, असत्य लेखन की कोई बात इनके न तो व्यक्तित्व में दिखती है और न ही इनके पूरे संस्थान में।

उत्तर प्रदेश के पत्रकारो के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद भी इनके व्यक्तित्व में वो अदाकारी, चालबाजी, ड्रामेबाज़ी नही आ पाई जो पत्रकारों के चुनावी समर का एक बड़ा हथियार बनता है, लफ़्ज़ों में चाशनी लपेटकर पीठ पर सवारी करने का गुरुमंत्र नही सीख पाये जिसके चलते उत्तर प्रदेश के।मान्यता प्राप्त पत्रकारो को एक कुशल, समर्पित नेतृत्व नही मिल।पाया जिसका एहसास बुद्धिजीवी वर्ग को भी होता होगा क्योंकि तीन साल गुजर गये और चयनित मान्यता समिति की न तो कोई बैठक दिखी और न ही कोई नेतागण जो इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि चालबाजी, गुटबाज़ी, ड्रामेबाज़ी हर सियासी अखाड़े का बड़ा मूल मंत्र है।

मनोज भाई आप अपना प्रयास जारी रखे, ईमानदारी की राह में रुकावटें ज़रूर है लेकिन सफलता आप जैसे इंसान की शख्सियत में झलकती है।

ये नया_जमाना है कामरान,
बात हम किस-किस की करें…
यहां तो अपने ही छुरा लिए बैठे हैं,
पीठ पर गैरों के नही आपनो के ही वार हैं,

मनोज भाई, आपके धरा अवतरण के इस खास मौके पर यही दुआ है कि बस खुदा पर एतबार करें और जो भी मिले प्यार से उसकी मदद करने का अपना अभियान और सिलसिला यूँ ही जारी रखे।

Dr. Mohd. Kamran
All India Newspaper Association
#ainaindia

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