पचहत्तर दिन बाद भी रिजवान हत्या कांड में दर्ज प्राथमिकी में अब तक कोई कार्रवाई नहीं
प्रेमिका के परिजनों ने घर छोड़ा
लखीमपुर खीरी। जिले की कानून व्यवस्था चरमराई,अपराध व अपराधियों पर नियंत्रण खो चुकी पुलिस अपराधों को छुपाने में लगी है। २९ मार्च २२ को थाना व कस्बा खीरी से संबद्ध पुलिस चौकी खीरी के मोहल्ला शेख़ सरायं में हुई प्रेमिका के घर में रिजवान की हत्या ने पूरे कस्बे को झकझोर कर रख दिया था। जिसकी प्राथमिकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा अपराध संख्या ०१०८, धारा १४७, ५०६ व ३०२ के अंतर्गत ३० मार्च को पंजीकृत कराई गई थी। लगभग ७५ दिन से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद एफ आई आर में नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी न होना संदेह के घेरे में है। यूं तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुकदमे की दिशा और दशा दिखाती है, यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरा फेरी हो जाय तब नामालूम कितने निर्दोष जेल चले जायेंगे। इससे पहले भी निघासन में सोनम हत्या कांड, जिसका पोस्टमार्टम तीन डाक्टरों के पैनल ने किया था,और पुलिस के दबाव में जो रिपोर्ट बनायी थी उसमें तीनों डाक्टरों को जेल जाना पड़ा था और सजायें हुईं थीं। पोस्टमार्टम हाउस पर अच्छी रिपोर्ट बनाने के लिए तथा शवों की अच्छी सिलायी के नाम पर आज भी धन उगाही की चर्चाएं गर्म हैं। वैसे तो रिजवान हत्या कांड जिसकी कयी परतें सवालों के घेरे में हैं। थाने की पुलिस ने एक तरफा देखकर जो काम अदालतों में होना था वह स्वयं करके अपराधियों के हौसले बुलंद कर दिये हैं। वैसे तो बताते हैं रिजवान के प्रेम संबंध काफी पुराने थे,और दोनों विवाह बंधन में बंधने की जद्दोजहद में लगे हुए थे। यदि प्रेमिका की आयु १८ वर्ष होती, जो पांच अप्रैल को पूरी होने वाली थी तो इतना बड़ा कांड नहीं होता । प्रेमिका के पिता का कस्बे में न आना प्रेमिका व उसकी मां का मोहल्ला पट्टी में रहना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सीआरपीसी की धाराओं में परिवर्तन यूं तो जांच अधिकारी करता है, परंतु पूरे रिजवान प्रकरण पर जिस प्रकार जांच पुलिस ने की है उसको केवल अदालत में बैठे जज ही कर सकते हैं ?