भाई के मॉल में इबादत की भी जगह नही।।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दुबई का लुलु मॉल केरल निवासी युसूफ अली ने खोल तो दिया लेकिन उत्तर प्रदेश के हालातों से वह रूबरू नहीं थे वरना जो बोर्ड लगाना पड़ा है वह मॉल के खुलने से पहले ही लगा देते तो यक़ीनन एक ख़ास प्रजाति के लोगो को मॉल नक्खास नज़र नही आता और न ही इबादत करते लोग गलत नज़र आते।
दुबई से आये युसूफ अली तो यह समझते होंगे की नज़ाकत, नफासत और गंगा जमुनी तहजीब वाले शहर लखनऊ में लुलु मॉल खोलेंगे तो यहां की आवाम खुले दिल से उनका स्वागत करेगी लेकिन ऐसा हुआ नही, खुले दिल से प्रचार-प्रसार में युसूफ अली में जो पैसा बहाया उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और एक बड़ा वर्ग प्रचार प्रसार के नाम पर मोटी धनराशि न मिलने से नाखुश होकर प्रत्येक दिन लुलु मॉल से संबंधित नकारात्मक खबरों के प्रचार प्रसार में लग गया। वो तो भला हो माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का जिनके कर-कमलों से मॉल का उद्घाटन हुआ इसलिये शासन प्रशासन की विशेष कृपादृष्टि बनी है और कोई अप्रिय घटना नहीं घटित हो रही है वरना साजिशों के इस दौर में लुलु की लाली गुल होने में देर नही लगती।
मियां यूसुफ अली भी क्या करें, प्रचार प्रसार तो करना ही था और प्रचार प्रसार के नवीन भवन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रांगण में बने मंदिर को देखकर लुलु मॉल के आयोजकों को लगा होगा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी के सरकारी विभागों में अगर मंदिर और पूजा पाठ जैसे कार्यक्रमों पर किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं है तो लुलु मॉल में नमाज पढ़ने पर पाबंदी ना लगाई जाए क्योंकि दुबई या अन्य देशों में जहां कहीं भी लुलु मॉल बना है वहां पर इबादत करने के लिए एक कक्ष भी बनाया गया है लेकिन मियां युसूफ अली भूल गए कि ये उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यहां की हवा बदल चुकी है, यहां के मिजाज बदल गए हैं, अब इबादत का रंग भी बदल गया है, सरकारी भवनों में धार्मिक स्थल, कार्यकर्मो का आयोजन अलग बात है, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी कार्यालय समय मे धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन लुलु में इबादत करने का ख्याल भी रखना गुनाह हो जाएगा, ये अब समझ आ गया है इसलिए ये बोर्ड लगा कर अपनी दानिशमंदी का ऐलान कर दिया है, लेकिन एक बड़ी आवाम मायूस से दिखाई दे रही है और ये कहते सुना जा रहा है कि भाई के मॉल में इबादत की कोई जगह नही।