जलवा जिसका कायम है, उसका नाम मुलायम है

समाजवाद के धरतीपुत्र को नमन.!!! विनम्र श्रद्धांजलि !!!

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के छोटे से गांव सैफई में एक ऐसी शख्सियत का जन्म हुआ जिससे सैफई गांव को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली, अखाड़े में पहलवानी दांव पेंच और कुश्तियों के दंगल में अपना सिक्का जमाने के बाद जब ये राजनैतिक मैदान में उतरे तो बड़े बड़े दिग्गजों को अपने दांव पेंच से पटखनी दे दी और स्वभाव से मुलायम, मुलायम सिंह यादव ने आने राजनैतिक गुरु नत्थू सिंह के दिखाए, सिखाये मार्ग पर चलकर उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का परचम लहराया, अपने गुरू को सम्मान और उनकी बात को नमन करना ही किसी इंसान की कामयाबी की पहली और अंतिम सीढ़ी है जो आजकल की पीढ़ी के लोगों में नही दिखती।

मुलायम सिंह यादव ने धरती से जुड़े लोगों को ही अपना माना और उनके दर्द को अपना समझ कर अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की जिस वजह से उन्हें धरती पुत्र मुलायम की उपाधि भी मिली, अपने इसी स्वभाव के चलते 1977 में मुलायम पहली बार मंत्री बने और 1980 में उन्हें चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया, आम।जनमानस से जुड़ाव और बढ़ती लोकप्रियता के चलते 1989 में मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। उनकी मेहनत और लगन के चलते पार्टी की स्थापना के मात्र एक साल बाद ही मुलायम फिर से यूपी के मुख्यमंत्री बने। प्रदेश में बढ़ती लोकप्रियता देख कर देश की जनता और पार्टी की मांग पर मुलायाम सिंह यादव ने देश की सेवा करने का निर्णय लिया और मैनपुरी सीट से लोकसभा सांसद बनकर देश की रक्षा के दायित्व को निर्वाह करने के लिए देश के रक्षा मंत्री बनकर कार्य किया ।।

मुलायाम सिंह यादव के कामयाब जीवन के सफर से एक बात स्पष्ट रूप से प्रमाणित है घर के आंगन में बैठकर ट्विटर, फेसबुक पर टाँय टाँय तो हो सकती है लेकिन वास्तव में धरती पुत्र बनना है तो धरती से जुड़े लोगों का जुड़ाव, गुरु का सम्मान और गुरु की बातों को आदेश मानकर पालन कर ही कोई इंसान सफल बन सकता है,, जन्म लेने से कोई बड़ा नही बनता इंसान के कर्म ही उसे सफल बनाते है ।।

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