सहकारिता विभाग के अधीनस्थ उ0प्र0 राज्य भंडारण निगम में कार्यरत सुभाष चंद्र पांडे पर आखिर क्यों नही हो रही कार्यवाही

भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग से दिनंाक 22.10.2022 को प्राप्त जानकारी के अनुसार सुभाष चंद्र पांडे की ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम की परास्नातक, रसायन विज्ञान का अंक पत्र फर्जी है। संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, सिक्किम सरकार, गंगकटोक द्वारा प्रमाणित किया गया है कि यू.जी.सी. द्वारा रसायन विज्ञान हेतु ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम को न तो अधिकृत किया गया और न ही मान्यता दी गयी है, अतः सुभाष चंद्र पांडे की डिग्री कूटरचित एवं फर्जी है।

संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, सिक्किम सरकार के विपरीत श्रीकान्त गोस्वामी, प्रबंध निदेशक, राज्य भण्डारण निगम द्वारा जनसूचना के अंर्तगत अवगत कराया कि निगम के पत्र सं.-16435 दिनांक 26.11.2014 द्वारा श्री सुभाष चन्द्र पाण्डे के एम.एस.सी. (रसायन विज्ञज्ञन) अंकपत्र के सत्यापन हेतु रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम को पत्र प्रेषित किया गया, जिसके क्रम में सम्बन्धित विश्वविद्यालय ने अपने कार्यालय पत्र सं.-439 दिनांक 12.12.2014 के माध्यम से श्री सुभाष चन्द्र पाण्डे के एम.एस.सी. वर्ष 2013 की अंकतालिका सत्यापित कर निगम को प्रेषित की गयी जो कूटरचित दस्तावेजों को प्रमाणित करता है। प्रबंध निदेशक द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी को कार्यालय रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम द्वारा फर्जी बताते हुये पत्र संख्या-439 को जाली बताया है और सुभाष चन्द्र पाण्डे नाम के किसी भी व्यक्ति को ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम का वैध छात्र नही बताया है।

सुभाष चन्द्र पांडे द्वारा कूटरचित दस्तावेज और जाली डिग्री ऐसे विश्वविद्यालय की बनायी गयी है जो परास्नतक केमिस्ट्री विषय के कोर्स संचालन हेतु यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त ही नही है, परन्तु प्रबंध निदेशक द्वारा फर्जी डिग्री की जांच को लंबित करते हुये अनेक महत्वपूर्ण कार्य सुभाष पाण्डें के हस्ताक्षर से सम्पादित कराया जाना गम्भीर प्रकरण है। सुभाष चंद्र पांडे के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र को कार्यालय के अन्य अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर सत्यापित करने का जो अपराध कारित किया गया है वो भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं के अनुसार दंडनीय है जिसका संज्ञान लेते हुए तत्काल कानूनी कार्यवाही किया जाना चाहिये एवं नौकरी के पहले ही दिन से सेवाएं शून्य मानते हुए सेवाकाल के दौरान लिए गए वेतन व भत्तों की वसूली किया जाना चाहिये।

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