श्रमिक दिवस पर अखबारकर्मियों के अस्तित्व को बचाने हेतु आईना का सकारात्मक प्रयास
करोड़ो की संगठित लूट पर मुकदमा दर्ज करने की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं एवं भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों के प्रचार प्रसार की समस्त जिम्मेदारी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा निभाई जाती है लेकिन भ्रष्टाचार पर जीरो नीतियों का भी अनुपालन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा नही किया जाता है।
पारदर्शिता के नाम पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट पर न तो मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सूची के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध है और न ही पत्रकारों को जारी सचिवालय, वाहन पास आदि के संबंध में कोई जानकारी दी जाती है। यही नहीं मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर कोई शिकायत भी नही दर्ज हो सकती क्योंकि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का नाम जनसुनवाई पोर्टल के विभागों की फ़ेहरिस्त में दिखाई ही नही देता है। भ्रष्टाचार चरम पर हो तो कानून व्यवस्था, जीरो टॉलरेंस, जनसुनवाई का भी डर नही दिखता, धन कमाने की लालसा और लालच की भूख बढ़ती जाती है। ऐसा ही एक बड़ा खेल वर्ष 2014 से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में खेला जा रहा है।
वर्ष 2019 से चल रही जांच पड़ताल में अनेक सनसनीखेज और चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं जिससे एक संगठित भ्रष्टाचार का ना सिर्फ खुलासा होता है बल्कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीतियों को झूठ का आइना दिखाया जाना प्रमाणित होता है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा क्षेत्रीय चैनलों को फायदा पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार में ऐसा शासनादेश तैयार किया गया जिससे लाखों रुपए के मूल्य का विज्ञापन करोड़ों में बदल जाता है और सबकी जेबों में मनमाफिक माल भर जाता है लेकिन इस खेल में अखबार कर्मियों का बड़ा नुकसान हो जाता है, उनके हिस्से के विज्ञापन बजट का अधिकांश भाग क्षेत्रीय चैनलो के विज्ञापन और फ़िल्म निर्माण जैसे मद में खर्च हो जाता है।
अखबारकर्मियों के श्रमिक दिवस पर रंगारंग, गीत संगीत, मायाजाल कार्यक्रम निरंतर चलता रहे इसके लिए श्रमिको के संस्थान, समाचार पत्रों के अस्तित्व को बचाने की आवश्यकता है लेकिन सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा क्षेत्रीय चैनलो को अहर्ताएं न पूरी करने पर भी लाखों, करोड़ो रूपये का न सिर्फ विज्ञापन दिया जा रहा है बल्कि उनके प्रतिनिधियों, वाहन चालकों को मान्यता एवं सचिवालय प्रवेश पत्र भी निर्गत किये जा रहे है।
डीएवीपी की वेबसाइट से मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए निर्धारित मानकों को बड़ी आसानी के साथ मिलान करने से प्रमाणित हो जाएगा कि अनेक व्यवसायियों को पत्रकार मान्यता दे कर श्रमिक बनाने का काम सूचना विभाग द्वारा किया गया है। यही नहीं अनेक क्षेत्रीय चैनल जो डीएवीपी के पैनल में नहीं दिखते उनको करोड़ों रुपयों का भुगतान भी कर दिया गया है।
आईना द्वारा वर्ष 2019 एवं तत्पश्चात वर्ष 2021 में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर चल रही सरकारी धनराशि के लूट का खुलासा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के समस्त वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र के माध्यम से किया गया परंतु बिना किसी जांच के रुपये 500 करोड़ घोटाले के शिकायती पत्र को असत्य, भ्रामक एवं निराधार बताकर निस्तारित कर दिया गया लेकिन सच का आईना दिखाने की ज़िद्द थी, इसलिए 3 वर्षों की जांच पड़ताल के उपरांत अत्यंत चौकानेवाले तथ्य सामने आए है जिसके आधार पर ऑल इंडिया न्यूज़पेपर एसोसिएशन, आईना द्वारा थानाध्यक्ष, हजरतगंज, लखनऊ एवं पुलिस कमिश्नर, लखनऊ को इस संगठित भ्रष्टाचार की करोड़ो की लूट हेतु भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120B r/w34, 406, 408, 409,420, 463, 465, 467, 468 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर जांच कराए जाने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है।
श्रमिक दिवस पर लघु एवं मध्यम अख़बार को बचाने की मुहिम में आईना द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार के करोड़ो रुपये की धनराशि के बजट के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास किया गया है जिसमें सभी अखबारकर्मियो के सहयोग की आवश्यकता होगी, मिलकर अस्तित्व बचाने की कोशिश करनी होगी वरना लघु एवं मध्यम समाचार पत्र से जुड़े मीडियाकर्मी भविष्य मे श्रमिक दिवस मनाने से वंचित रह जाएंगे।