भारत की नरेंद्र मोदी सरकार की मूर्खता को ऐसे समझें

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने 2019 में भारत को दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित कर दिया था। आईएमएफ के मुताबिक भारत की इकोनॉमी 3 साल पहले 2.94 ट्रिलियन डॉलर थी।

लहालोट भक्तों की तालियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जुमला फेंका कि भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। फिर क्या था, भक्तों ने अपने भगवान को फिर से कुर्सी थमा दी।

इसके बाद की कहानी दिलचस्प है। भारत ने जहां अपनी इकोनॉमी यानी जीडीपी को नीचे लाना शुरू किया, वहीं ब्रिटेन उसे संशोधित कर ऊपर लाना शुरू किया। नतीजतन भारत की इकोनॉमी 2.83 ट्रिलियन डॉलर रह गई, वहीं ब्रिटेन 2.88 ट्रिलियन डॉलर हो गई।
फिलहाल भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है।

अब आईएमएफ का कहना है कि भारत 2026-27 तक 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बन सकता है, बशर्ते कि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 84 तक गिर जाए। यानी आईएमएफ भी चाहता है कि भारत की सार्वभौमिकता की प्रतीक उसकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 84-94 रुपए तक गिर जाए।

यह विदेशी कर्ज के कारण होगा, क्योंकि भारत लोन न चुका पाने की स्थिति में विदेशी बैंकों, कर्जदाताओं और आईएमएफ, विश्व बैंक के सामने समर्पण कर देगा। उनकी नीतियां भारत में लागू होंगी, जिसमें गरीब, वंचित अवाम के हक की कोई जगह नहीं होगी।

अगर भारत सरकार यही चाहती है तो वह बिल्कुल ठीक दिशा में काम कर रही है। देश का आयात 51% बढ़ा है, जबकि निर्यात महज 17% ही बढ़ पाया है। इससे व्यापार असंतुलन 25.63 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो गया है।

विदेशों में भेजे जाने वाले 10 प्रमुख उत्पादों में से 4 के निर्यात में गिरावट आई है- इंजीनियरिंग के सामान, दवाएं, कपड़ा और हैंडलूम, प्लास्टिक और लिनोलियम।

हम कच्चा तेल ही नहीं, कोयला और सोना भी बाहर से मंगवा रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया का जुमला फेंकते हैं और ट्रोल मंत्री, गोदी मीडिया और आईटी सेल प्रोपोगेंडा करते हैं। देश इसी तरह चलता दिख रहा है। असल में देश तेजी से नीचे फिसल रहा है।-Soumitra Roy

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