भद्रा नक्षत्र के भ्रामक प्रचार के कारण असमंजस और संशय में मना रक्षाबंधन
लखनऊ (अजय वर्मा)। ज्योतिषाचार्यों आचार्यों, महा पंडितों, पंचांग गणितज्ञों के भ्रामक प्रचार के कारण लोगों ने अबकी बार तनाव असमंजस और संशय की स्थिति में मनाया रक्षाबंधन। जैसा की ज्ञात है, भारतवर्ष के तमाम विद्वानों, महामंडित आचार्यों, गुरुजनों विद्य्वता से परिपूर्ण ज्योतिषाचार्यों द्वारा भद्रा नक्षत्र को लेकर त्रुटि पूर्ण बयान दिए गए, जिससे रक्षाबंधन मनाये जाने को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। सभी विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत बताए। एक विशेष वर्ग द्वारा यह बताया गया की पूर्णिमा के दिन भद्रा नक्षत्र होने के कारण रक्षाबंधन भद्रा समाप्त होने के बाद ही मनाया जा सकता है इस नक्षत्र में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है, जैसा की ज्ञात है भद्रा नक्षत्र पूर्णिमा के दिन सुबह 8:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे के बाद समाप्त होना था तदुपरांत पूर्णिमा दूसरे दिन सुबह सात बजकर 5 मिनट पर समाप्त होनी थी। और भद्रा नक्षत्र समाप्त होने के बाद ही रक्षाबंधन मनाया जा सकता था। किंतु उसके साथ एक दशा यह भी लगा दी गई कि सूर्यास्त के बाद रक्षाबंधन मनाने का कोई औचित्य नहीं है।
वही दूसरे विशेष वर्ग ने यह बताया कि चंद्रमा मकर राशि में होने के कारण भद्रा का वास पाताल में है इसलिए रक्षाबंधन मनाया जा सकता है। पृथ्वी पर भद्रा का कोई असर नहीं पड़ेगा। इस तरह के भ्रामक बयानों से आमजन के सामने असमंजस और संशय की स्थिति पैदा हो गई। यह विचारणीय विषय है कि भारत के विद्वान महा पंडितों का आपस में ही तालमेल नहीं है और ना ही वह लोग एकमत होकर कोई बयान देते हैं। इन्हीं कारणों से अब भारतवर्ष में अधिकतर पर्व और त्यौहार दो-दो दिन मनाए जाने लगे हैं। क्या हमारे विद्वानों की संस्कृति उनके ज्ञान उनके पंचांग देखने के नजरिए इतने कमजोर हो गए हैं कि वह सभी लोग सही गणना कर पाने में असक्षम और असमर्थ हैं।
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भारत देश का एक बहुत बड़ा वर्ग पंचांग विशेषज्ञों आचार्यों और पंडितों के दिशा निर्देश पर चलता है। उनके द्वारा बताए तमाम उपायों पर अमल करता है। आखिर कब तक चलता रहेगा भ्रम पैदा कर लोगों को भयभीत करने का क्रम। खैर, अब तो यह समय ही बताएगा या जनता ही निर्णय लेगी कि हमें कब कहां और कैसे त्यौहार मनाना है।
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हमने भी रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े ही अनमने मन से असमंजस के साथ मनाया मेरी छोटी बहन रेनू निगम ने आकर राखी बांधी और मैंने भी दिल से उसे आशीर्वाद दिया और इस तरह भादो के दिन धनिष्ठा नक्षत्र में हमारा रक्षाबंधन पर्व मना। जय हो महा मनीषियों की।